इस्लामी बांग्लादेश में कितने हिंदू बचे हैं? जानें कट्टरपंथियों के हमलों के बीच कैसे हैं उनके हालात

ढाका: बांग्लादेश में 5 अगस्त को शेख हसीना सरकार के पतन के बाद हिंदुओं पर हमले बढ़ हैं। पिछले कुछ महीनों में पूरे देश में हजारों की संख्या में हिंदुओं के मकानों, दुकानों और मंदिरों पर हमले हुए हैं। सैकड़ों हिंदुओं की हत्याएं की गई हैं और पुलिस-प्

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ढाका: बांग्लादेश में 5 अगस्त को शेख हसीना सरकार के पतन के बाद हिंदुओं पर हमले बढ़ हैं। पिछले कुछ महीनों में पूरे देश में हजारों की संख्या में हिंदुओं के मकानों, दुकानों और मंदिरों पर हमले हुए हैं। सैकड़ों हिंदुओं की हत्याएं की गई हैं और पुलिस-प्रशासन तमाशाबीन बन देख रहा है। जब बांग्लादेशी हिंदुओं ने खुद की रक्षा की गुहार लगाई तो उनके नेताओं को झूठे मुकदमों में फंसाया गया और उ उनके समर्थकों पर हमले किए गए। हाल में ही हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात कैसे हैं और उनकी संख्या कितनी हैं।

बांग्लादेश में हिंदुओं की जनसंख्या कितनी है?


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश की 2022 की जनगणना में 13.1 मिलियन से कुछ ज्यादा हिंदुओं की गिनती की गई है, जो देश की आबादी का 7.96% हिस्सा हैं। अन्य अल्पसंख्यक (बौद्ध, ईसाई, आदि) मिलकर 1% से भी कम हैं। बांग्लादेश की 165.16 मिलियन आबादी में से 91.08% मुसलमान हैं। बांग्लादेश के आठ डिवीजनों में आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी काफी अलग-अलग है - मैमनसिंह में सिर्फ़ 3.94% से लेकर सिलहट में 13.51% हिंदू हैं।

बांग्लादेश के 64 जिलों में से चार में, हर पांचवां व्यक्ति हिंदू है। ढाका डिवीजन में गोपालगंज (जिले की आबादी का 26.94%), सिलहट डिवीजन में मौलवीबाजार (24.44%), रंगपुर डिवीजन में ठाकुरगांव (22.11%), और खुलना डिवीजन में खुलना (20.75%) में हिंदुओं की संख्या ज्यादा है। 2022 की गणना के अनुसार, 13 जिलों में हिंदू आबादी के 15% से अधिक और 21 जिलों में 10% से अधिक थे।

बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति क्या है?


ऐतिहासिक रूप से वर्तमान बांग्लादेश में हिंदुओं की बड़ी आबादी निवास करती थी। पिछली सदी की शुरुआत में, वे इस क्षेत्र की आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा थे। तब से लेकर अब तक मुसलमानों की आबादी लगातार बढ़ी है और हिंदुओं की आबादी में गिरावट आई है। 1901 के बाद से हर जनगणना ने आज के बांग्लादेश की आबादी में हिंदुओं की संख्या में गिरावट देखने को मिली है। यह गिरावट 1941 और 1974 की जनगणनाओं के बीच सबसे अधिक थी, यानी जब बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान था।

उल्लेखनीय रूप से, केवल 1951 की जनगणना ने पिछली (1941) गणना की तुलना में हिंदुओं की पूर्ण संख्या में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की। वहीं, इस क्षेत्र में मुसलमानों की आबादी 1941 में लगभग 29.5 मिलियन से बढ़कर 2001 में 110.4 मिलियन हो गई। आबादी में मुसलमानों के अनुपात में वृद्धि - 1901 में अनुमानित 66.1% से आज 91% से अधिक हो गई है। इस बदलाव के पीछे कई कारक हैं - जिनमें से कुछ विभाजन से पहले के हैं।

बांग्लादेश में हिंदुओं की संख्या कम कैसे हुई


विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार, बंगाल में मुसलमानों में प्रजनन दर ऐतिहासिक रूप से हिंदुओं की तुलना में अधिक रही है। भारत की पहली जनगणना (1872) के बाद के डेटा इस परिकल्पना का समर्थन करते हैं, जो मुख्य रूप से हिंदू-बहुल पश्चिम बंगाल और मुस्लिम-बहुल पूर्वी बंगाल के बीच तुलना पर आधारित है। अमेरिकी मानवविज्ञानी डेविड मैंडेलबाम ने तर्क दिया कि बंगाल में प्रजनन दर में अंतर पर धर्म का प्रभाव अप्रत्यक्ष था और मुख्य रूप से शैक्षिक और आर्थिक कारकों के माध्यम से कार्य करता था।

हिंदुओं के विस्थापन ने भी घटाई संख्या


विभाजन के बाद भी यह प्रवृत्ति जारी रही। बड़ी संख्या में हिंदु बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गए। जनसांख्यिकीविद जे स्टोकेल और एम ए चौधरी ने 1969 में अपने शोधपत्र ‘डिफरेंशियल फर्टिलिटी इन ए रूरल एरिया ऑफ ईस्ट पाकिस्तान’ में लिखा था कि मुसलमानों की कुल वैवाहिक प्रजनन दर (वैवाहिक प्रजनन दर का आजीवन माप) प्रति महिला 7.6 बच्चे थी, जबकि हिंदुओं के लिए यह दर 5.6 थी। यह शोधपत्र द मिलबैंक मेमोरियल फंड क्वार्टरली पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।

विभाजन और पलायन से हिंदुओं पर हुआ वज्रपात


बंगाल और पंजाब ब्रिटिश भारत के दो प्रांत थे जिन्हें धर्म के आधार पर भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित किया गया था। यह विभाजन बेतरतीब था, मनमाना था, और इसने हिंसा और आघात का एक ऐसा निशान छोड़ा जिसकी गूंज आज भी महसूस की जा सकती है। हालांकि, पंजाब के विपरीत, बंगाल में 1947 में नई सीमा के पार आबादी का कोई बड़ा आदान-प्रदान नहीं हुआ था। इतिहासकार ज्ञानेश कुदैस्या ने लिखा है कि विभाजन के बाद 11.4 मिलियन हिंदू (अविभाजित बंगाल की हिंदू आबादी का 42%) पूर्वी बंगाल में रह गए। कुदैस्या ने लिखा, "1947 में, केवल 344,000 हिंदू शरणार्थी पश्चिम बंगाल आए, और पूर्वी पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों में यह उम्मीद बनी रही कि वे वहां शांतिपूर्वक रह सकते हैं।"

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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